मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि आपराधिक संशोधन अधिनियम (criminal ammendment act) 2013 को80 निर्भया अधिनियम (nirbhaya act) के तौर पर जाना जाता है।

यह संशोधन नई दिल्ली में निर्भया के साथ हुई दरिंदगी के बाद इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए किया गया था। यह लिंग के प्रति तटस्थ अधिनियम है।

इसमें महिला पीड़ित की ही भांति एक पुरुष भी एसिड अटैक (acid attack) अथवा एसिड अटैक की कोशिशों की धाराओं (sections) के अंतर्गत शिकायत करने का अधिकार रखता है।

एक पुरुष का अपनी अर्जित संपत्ति (earned property) पर अधिकार होता है। इस पर उसकी पत्नी अथवा बच्चों का कोई अधिकार नहीं होता। वह जिसे चाहे इस दे सकता है अथवा किसी को भी न देकर ट्रस्ट (trust)) में तब्दील करा सकता है।

उसकी इस संपत्ति पर कोई अपना दावा नहीं ठोक सकता। यह अलग बात है कि संबंधित पुरुष इस संपत्ति का वसीयतनामा (will) तैयार कर इसे किसी को सौंप दे। लेकिन यह सब कुछ उसकी मर्जी पर ही निर्भर करेगा।

न केवल महिलाओं, बल्कि वर्तमान में पुरुषों का भी मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। यही नहीं, इस प्रकार की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। मानसिक उत्पीड़न में परिवार से न मिलने देना

दोस्तों-रिश्तेदारों से न मिलने देना, नामर्द पुकारना, घर से निकाल देना, अत्यधिक टोका-टाकी, शारीरिक हिंसा, पीड़ा अथवा क्षति पहुंचाना, अपमानित करना, बार-बार आत्महत्या की धमकी देना, मौखिक अथवा भावनात्मक हिंसा आदि शामिल हैं।

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