भारत में बेशक अभी 5जी का इस्तेमाल लोगों के लिए दूर की कौड़ी हो, लेकिन 6जी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। लोग जानना चाह रहे हैं कि 6जी मोबाइल नेटवर्क से उनकी कनेक्टिविटी किस प्रकार एवं कितनी बेहतर हो जाएगी।
G का अर्थ जनरेशन (generation) से है। यह दरअसल, सेल्युलर नेटवर्क टेक्नोलाजी (cellular network technology) की 6 जेनरेशन है, इसलिए इसे 6G पुकारा जा रहा है।
भारत में अभी 4जी नेटवर्क ही चल रहा है। 5जी का अभी ट्रायल चल रहा है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैश्णव ने उम्मीद जगाई है कि इस साल यानी 2023 में 5जी भारत में लांच हो सकता है।
भारत में 6जी को लेकर क्या तैयारी शुरू की गई है?
आपको बता दें कि दोस्तों टेलीकाॅम डिपार्टमेंट यानी दूरसंचार विभाग की ओर से इसका जिम्मा सरकारी टेलीकाॅम रिसर्च कंपनी सी-डाॅट (C-DOT) को सौंपा गया है।
यहां जेनरेशन एडवांसमेंट का मतलब तकनीकी के अपग्रेडेशन से लिया जा सकता है। जैसे-जैसे सेल्युलर मोबाइल नेटवर्क तकनीक आगे बढ़ती है डाटा स्पीड में सुधार होता है। इसके अतिरिक्त सिक्योरिटी समेत दूसरे फीचर्स अपग्रेड हो जाते हैं।
भारत में अभी 4जी नेटवर्क ही चल रहा है। 5जी का अभी ट्रायल चल रहा है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैश्णव ने उम्मीद जगाई है कि इस साल यानी 2023 में 5जी भारत में लांच हो सकता है। बताया जा रहा है कि 5जी नेटवर्क से करीब 20जीबीपीएस की स्पीड से डाटा डाउनलोड किया जा सकता है।
दक्षिण कोरिया आदि देश इस तकनीक को आज से तीन वर्ष पूर्व 2019 में ही लांच कर चुके हैं। इस तकनीक में डाटा ट्रांसफर स्पीड, एनर्जी सेविंग , हायर कनेक्शन डेसिटी जैसे-कई सुधार देखने को मिलेंगे।
1जी नेटवर्क की शुरूआत आज से करीब 44 वर्ष पूर्व यानी 1979 में हुई। इसे फर्स्ट जेनरेशन वायरलेस टेक्नोलाजी भी पुकारा जाता है। उस समय इस नेटवर्क के जरिए केवल वाइस काॅल की जा सकती थी। यह एनालाॅग सिग्नल पर आधारित तकनीक थी।
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