सबसे पहले टीडीएस (TDS) की फुल फाॅर्म (full form) जान लेते हैं। यह टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (tax deduction at source) है। इसे हिंदी में स्रोत पर की गई कर कटौती भी पुकारा जाता है।

इसे विभिन्न प्रकार के भुगतान पर काटा जाता है। मसलन सैलरी (salary), ब्याज (interest) आदि। यह तो आप जानते ही हैं कि सरकार दो प्रकार से टैक्स लेती है।

एक डायरेक्ट टैक्स (direct tax) और दूसरा इन डायरेक्ट टैक्स (indirect tax)। सरल शब्दों में कहें तो टीडीएस सरकार द्वारा इनडायरेक्ट टैक्स लेने का एक तरीका है। इसका सबसे प्रमुख उद्देश्य टैक्स चोरी रोकना है।

टीडीएस काटने वाले को हर तीन माह में निर्धारित तिथि पर टीडीएस रिटर्न फाइल (TDS return file) करना होता है। अलग अलग प्रकार की टीडीएस कटौती के लिए पृथक टीडीएस फाॅर्म होते हैं।

अब हम आपको एक उदाहरण से टीडीएस समझाने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए एक कंपनी के मालिक को कार्यालय किराए के बतौर 50 हजार रूपये का पेमेंट करना है। टीडीएस 10 प्रतिशत काटा जाना आवश्यक है।

ऐसे में वह 5 हजार रूपये टीडीएस काटकर 45 हजार रूपये भुगतान करेगा। यहां एक और बात स्पष्ट कर लें। टीडीएस काटने वाला डिडक्टर (deductor) कहलाता है एवं जिसका पैसा कटता है, उसे डिडक्टी (deductee) पुकारा जाता है।

यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है। हम आपको बताएंगे कि टीडीएस फाइनल करने के कौन कौन से फाॅर्म होते हैं। इनका ब्योरा इस प्रकार से है-

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