सुनक को झंडू बाम बताने और ब्रिटेन की डेमोक्रेसी को बेस्ट बताने पर क्यों तुले हैं भारतीय

आजकल सबको टफ टास्क दिए पड़े हैं, बताइए एक वक्त ऐसा था कि देश की और अपनी मानसिक गुलामी के खिलाफ ब्रिटेन के विरुद्ध एकजुट होकर हिंदुस्तानियों ने आजादी पाई थी.

आज ब्रिटेन में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बनने पर हम दो धड़ों में बंट गए हैं. धन भाग्य हमारे आज़ादी की लड़ाई के वक्त सोशल मीडिया नहीं था

वरना इसी बात पर लड़ मरते शायद बिस्मिल ने तो कलावा पहन रखा है वो सेंटर पर गोल मारेगें.

क्या लगान और क्या लगाम… ब्रिटेन फिर से डोगुना लगान वसूल कर सकता है बस हिंदुस्तानियों का ट्विटर देखकर.

कौन हैं ये लोग…कहां से आते हैं फिर कौन हैं ये लोग कहां से आते हैं जो सुनक को झंडु बाम बताने या ब्रिटेन की डेमोक्रेसी को बेस्ट बताने पर तुले हैं

सोचिए जो बाहर हमारी कामयाबी नहीं पचा पा रहें वो अंदर कितने घातक होंगे

कमला हैरिस के मामले में आपके पास गर्व करने के सिवा कोइ चारा नहीं वो कमल हैरिस होतीं तो शायद कुछ बात बनती

लेकिन यहां तो ना सिर्फ भारतीय मूल का मामला है आस्था में डूबे एक ऋषि हैं जो अपने बच्चों के नाम भी कृष्णा जैसे रखे हैं

गीता की शपथ लेते हैं

दीप रौशन करते हैं

हिंदू होने पर गर्व महसूस करते हैं

डेस्क पर भगवान गणेश की मूर्ति रखते हैं

ब्रिटेन की अपनी चिंताए होंगी, लेकिन बारबंकी के बीजेपी विरोधी कार्यकर्ता को डर इस बात का है कि सुनक पीएम बनने के बाद बाबा काशी या केदार को धन्यवाद करने ना चलें आएं