हमारा देश भारत एक ऐसा देश है, जहां कन्या के जन्म लेते ही माता-पिता को उसके भविष्य की चिंता सताने लगती है। बहुत से लोग तो ऐसे हैं कि कन्या के घर में आते ही उसके लिए बचत योजना अथवा किसी अन्य जगह पैसा निवेश कर देते हैं, ताकि उसके विवाह में किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

हालांकि पहले की अपेक्षा अब लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है वे कन्या के केवल विवाह के बारे में ही नहीं सोचते, उनके लिए उच्च शिक्षा पर भी विचार करते हैं।

सबसे पहले हम जान लेते हैं कि सुकन्या समृद्धि योजना (sukanya samriddhi Yojana) अर्थात SSY क्या है? बालिकाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इस योजना को 22 जनवरी, 2015 को शुरू किया था। इसका उद्देश्य बालिका के माता-पिता को उसके भविष्य की शिक्षा एवं विवाह के खर्चों से निपटने के लिए एक कोष बनाने को प्रेरित करना था।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) ने हरियाणा (haryana) के पानीपत (panipat) से किया था। इस योजना के अंतर्गत 10 वर्ष की आयु होने से पूर्व बालिका का खाता खोला जाता है। यह न्यूनतम 250 रूपये से खोला जाता है।

शुरूआत में यह राशि एक हजार रूपये निर्धारित की गई थी, जिसे 2018 में कम कर दिया गया। इसमें अधिकतम राशि डेढ़ लाख रूपये तक जमा की जा सकती है। 15 वर्ष तक खाते में राशि जमा करने की बाध्यता होती है।

इसके पश्चात 21 वर्ष तक यह बिना कोई राशि जमा किए चलता है। इस खाते की मैच्योरिटी अवधि 21 वर्ष निर्धारित की गई है। वर्तमान में इस खाते की जमा पर ब्याज दर 7.6 प्रतिशत वार्षिक प्रदान की जा रही है।

जिस समय इस योजना का शुभारंभ हुआ, इस योजना को हाथों हाथ लिया गया। सुकन्या समृद्धि योजना (sukanya samriddhi Yojana) के शुरूआती दो महीने में ही 1,80,000 खाते खोल दिए गए।

तमिलनाडु (tamilnadu), कर्नाटक (Karnataka) एवं आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) खाते खोले जाने के मामले में टाॅप पर थे। 2015 के अक्तूबर महीने तक देश भर में खुले खातों की संख्या 76,19,668 पर पहुंच चुकी थी। कुल 28 38 बिलियन की राशि उन खातों में जमा हो चुकी थी।

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