इन दिनों महिलाएं किसी क्षेत्र में पीछे नहीं। वे उन क्षेत्रों में भी डटकर कार्य कर रही हैं, जिन्हें अमूमन पुरूषों का क्षेत्र माना जाता है-जैसे एविएशन, बस ड्राइविंग आदि।
अक्सर नियोक्ता पहले यह मानते थे कि मातृत्व संबंधी मुश्किलों के चलते ये क्षेत्र महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं। महिलाओं को सरकार की ओर से मिली सहूलियत ने उनके मातृत्व के दिनों से जुड़ी मुश्किलों को दूर करने में मदद की है।
सरकार 2017 में मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम maternity benefits (amendment) act लाई, जिसने पूर्व के यानी मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 के तहत महिलाओं को दी जा सुविधाओं का दायरा और बढ़ा दिया।
दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि अपने परिवार का गुजारा करने के लिए किसी प्रतिष्ठान में कार्य करने वाली महिला के रोजगार (employment) एवं उसके मातृत्व की प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए तत्कालीन भारत सरकार (government of India) ने पर्याप्त सोच विचार के पश्चात मातृत्व लाभ अधिनियम (maternity benefits act) की रूपरेखा तैयार की।
यह मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में पारित हुआ था। इसे प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम-1961 के नाम से भी पुकारा गया। आइए, अब आपको बताते हैं कि इस अधिनियम के दायरे में कौन कौन से प्रतिष्ठानों को रखा गया।
दोस्तों, इसके दायरे में वे तमाम तरह के कारखाने, खदानें, बागान, प्रतिष्ठान एवं ऐसे निकाय आते हैं, जहां 10 अथवा उससे अधिक कर्मचारी (employee) कार्यरत हैं। अथवा पिछले 12 माह की अवधि में नियोजित रहे हैं।
दोस्तों, आपको बता दें कि प्रावधान किया गया है कि यह अधिनियम वहां लागू नहीं होगा, जहां ईएसआईसी (ESIC) यानी कर्मचारी राज्य बीमा निगम (employees state insurance corporation)-1948 के प्रतिबंध लागू हों।
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