आज के इस लेख में हम आपके साथ कुंभ मेले का पूरा इतिहास साँझा करने वाले हैं और साथ ही इसे मनाने का उद्देश्य (Kumbh ka mela kyu lagta hai) भी।

इसे पढ़कर आप यह जान पाएंगे कि आखिरकार क्यों हम कुंभ मेले को प्रति वर्ष आयोजित ना करके चार वर्षों में एक बार ही मनाते हैं और क्यों इसे 12 वर्षों के अंतराल में बड़ा रूप दिया जाता है। आइए जाने कुंभ मेले के पूरे इतिहास के बारे में।

कुंभ मेला का उद्देश्य सभी हिन्दुओ को संगठित कर धर्म का प्रचार प्रसार करना है और देश की नीति तय करना है।

कुंभ मेला का मतलब होता है जहाँ पर कुंभ का आयोजन हो रहा है वहां जाकर माँ गंगा में डुबकी लगा कर शाही स्नान करना और अपने पापों को धोना।

कुंभ की शुरुआत समुंद्र मंथन से हुई थी जिसके बारे में पूरी कहानी हमने आपको इस लेख के माध्यम से बताई है

कुंभ की शुरुआत सतयुग में देवताओं और दानवों ने की थी।

आपको तो यह पता ही होगा कि एक युग में चार युग होते हैं जिसमे से पहला युग सतयुग होता है और उसके बाद त्रेता युग, फिर द्वापर युग और अभी वाला युग कलियुग (Kumbh mela ka itihas in Hindi) कहलाता है।

कुंभ मेला क्यों लगता है? अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर  क्लिक करें?