कम टर्न ओवर के कारोबारियों को रसीद, बार बार रिटर्न भरने की दिक्कत न हो, वह इसके लिए जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेकर आई।

इस स्कीम के अंतर्गत कारोबारियों को अपने अलग अलग लेन देन का अलग अलग ब्योरा नहीं देना पड़ता। उन पर वस्तुओं के कारोबार का 1% एवं सेवाओं के कारोबार पर उनकी कैटेगरी के लिहाज से 5% से लेकर 6% तक टैक्स लगता है।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के तहत टर्नओवर की सीमा सामान्य एवं विशेष कैटेगरी वाले राज्यों के लिए अलग-अलग निर्धारित की गई है।

आप वित्तीय वर्ष में जब भी चाहें इस स्कीम से बाहर हो सकते हैं, आप जिस दिन इस स्कीम से बाहर होते हैं, उसी दिन से आपके कारोबार पर सामान्य जीएसटी कारोबारी की तरह नियम लागू हो जाते हैं। 

 कारोबारियों को हर तीन माह के पश्चात इन महीनों में हुए कारोबार के लिए टैक्स चुकाना पड़ता है। उन्हें जीएसटी सीएमपी-08 में कारोबार का ब्योरा भरकर जमा करना होता है।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारियों को पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान हुए कारोबार का ब्योरा सालाना रिटर्न फाॅर्म जीएसटीआर-4 में भरकर जमा करना होगा। इसे संबंधित वित्तीय वर्ष के पश्चात आने वाले दिसंबर की आखिरी तिथि तक जमा करना होता है।

यदि जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाला कोई व्यक्ति अंतिम तिथि तक रिटर्न दाखिल नहीं करता तो क्या होता है।ऐसे कारोबारी को 200 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना भरना पड़ता है। इसमें 100 रूपये सीजीएसटी का हिस्सा होता है, जबकि 100 रूपये एसजीएसटी का।

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