सबसे पहले बात करते हैं ग्राफ़िक डिजाइनिंग के बारे में। अब जब आप ग्राफ़िक डिजाइनिंग के बारे में समझेंगे तब जाकर ग्राफ़िक डिज़ाइनर को समझ पाएंगे। तो ग्राफ़िक्स का मतलब होता है चित्र जिन्हें हम ऑनलाइन या ऑफलाइन देखते हैं।

अब जब ये चित्र ही होते हैं तो इन्हें आम भाषा में फोटो या चित्र क्यों नही कहा जाता है या फिर इमेज क्यों नही कह देते हैं। वह इसलिए क्योंकि जो चित्र, फोटो या इमेज होती है उन्हें क्लिक किया हुआ होता है

अब जो ग्राफ़िक्स होते हैं उसमे उन चित्रों के माध्यम से उसे एक नया रूप दिया होता है जिसमे कुछ जानकारी दी गयी होती है। यह जानकारी या तो शब्दों के माध्यम से दी हुई होती (Graphics designing course in Hindi) है

या फिर चित्र को ही इस तरह से बनाया जाता है कि वह अपने आप में पूर्ण हो। आप अख़बार या मैगज़ीन में इस तरह के ग्राफ़िक्स देखते ही होंगे या फिर प्रतिदिन सोशल मीडिया पर भी आपको ऐसे कई ग्राफ़िक्स दिख जाएंगे।

तो जो भी यह ग्राफ़िक्स होते हैं, उन्हें डिजाईन करने को ही ग्राफ़िक डिजाइनिंग कहा जाता है। तो अब आप असल में समझ गए होंगे कि एक सामान्य चित्र और ग्राफ़िक्स में क्या अंतर होता है। तो चलिए अब बात करते हैं ग्राफ़िक डिज़ाइनर के बारे में।

ग्राफ़िक डिज़ाइनर कौन होते हैं या इनका क्या काम होता है, यह सब आपको ग्राफ़िक डिजाइनिंग के बारे में पढ़कर समझ आ ही गया होगा। फिर भी हम इसे विस्तार देते हुए बता दे कि वह प्रोफेशनल व्यक्ति जिसने ग्राफ़िक डिजाइनिंग में कोर्स या डिग्री की हुई हो,

उसके द्वारा इन ग्राफ़िक्स को डिजाईन करने का काम किया जाता है तो ऐसे में हम उस व्यक्ति को ग्राफ़िक डिज़ाइनर के रूप में जानते हैं। अब सामान्य रूप से जो व्यक्ति किसी चीज़ का निर्माण करता हैं तो हम उसमे ही कुछ शब्द जोड़कर उसे उस नाम से बुलाते हैं।

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