ग्लेशियर को सामान्य तौर पर हिमनदी भी कह दिया जाता है। यह मुख्य रूप से बड़े बड़े पर्वतो, चट्टानों पर पाए जाने वाले बर्फ के रूप होते हैं जो गतिशील अवस्था में होते हैं।
यह पानी का जमा हुआ रूप कहा जा सकता है जिसे शुद्ध पानी के रूप में (Glacier meaning in hindi) आँका जाता है। अब समुंद्र का पानी तो खारा होता है
और उसमे नमक की बहुत मात्रा होती है। उस तरह के पानी से मनुष्य अपनी प्यास नही बुझा सकता है।
तो वही पानी शुद्ध रूप में और बिना नमक के जमा हुआ पाया जाए और गतिशील भी हो तो उसे ग्लेशियर कह दिया जाता है। इस तरह के ग्लेशियर कम मात्रा में होने की बजाए बहुत अधिक और बड़ी संख्या में पाए जाते हैं
क्योंकि वहां का तापमान बहुत ही कम होता है। तो भारत के जिस इलाके में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है या जहाँ पर वर्ष के अधिकतम समय ठंड पड़ती है
ग्लेशियर को हिंदी में हिमनदी या हिमानी कह दिया जाता है। चूँकि यह बर्फ से जमी हुई चादर होती है जिससे नदियों का निर्माण होता है
तो इसे हिमनदी कह दिया जाता है। यही नदियाँ आगे बहती हुई कई राज्यों की प्यास बुझाती है और खेती करने के काम आती है।
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