गृहिणियों को इस दिन नए नए पकवान बनाने होते हैं तो छात्रों को कई दिनों की छुट्टियाँ मिलती हैं। यही कारण हैं कि दिवाली का मौसम हर किसी के लिए बहुत ही सुहावना मौसम होता हैं।

दीपावली का पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहार हैं जो हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता हैं। इस दिन हम सभी के आराध्य प्रभु श्री राम का चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात पुनः अयोध्या आगमन हुआ था।

वह अमावस्या की रात थी, इस कारण अयोध्या की प्रजा ने हर घर को दीयों की रोशनी से जगमग कर दिया था। उस दिन का उल्लास कुछ ऐसा था कि वह आज तक वैसा ही हैं।

जिस दिन भगवान श्री राम का अयोध्या आगमन हुआ था, उस दिन को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। यह दिन कार्तिक मास की अमावस्या का दिन था। उस दिन हर जगह घोर अँधेरा छाया हुआ था

लेकिन तब से लेकर आज तक किसी भी अमावस्या की रात तो क्या, अन्य कोई रात भी ऐसी नही रही, जिस दिन ऐसा उजाला रहा हो। दिवाली की रात तो एक ऐसी रात होती हैं जिस दिन पूरा भारतवर्ष जगमगा उठता हैं।

अब हम जानेंगे कि आखिरकार किस तरह से दिवाली का पावन त्यौहार मनाया जाता हैं और उस दिन हम सभी को क्या कुछ करना चाहिए। तो इस पर्व की महत्ता को देखते हुए हमें यह पर्व पूरे जोश व उमंग के साथ मनाना चाहिए।

दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के पश्चात घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता हैं। इसके साथ ही हम उन्हें शुभ दीपावली कहकर अभिवादन करते हैं।

दिवाली की शाम को हम लक्ष्मी पूजा करते हैं। उन्हीं के साथ भगवान गणेश व माता सरस्वती की पूजा भी की जाती हैं। इसके पश्चात दीयों को घर के अंदर व बाहर सजा दिया जाता हैं

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