टीडीएस की कटौती और रिफंड पाने के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पहले हमें यह जानना बेहद आवश्यक है। कि TDS वास्तव में होता क्या है? बात करें – टीडीएस की तो टीडीएस का फुल फॉर्म Tax Deducted at Source होता है।
जिसको हम हिंदी में स्रोत पर टैक्स कटौती कह सकते हैं। टीडीएस आपके कमाई के स्रोत जैसे – सैलरी, ब्याज, लाटरी आदि पर काटा जाता है। इसके साथ ही कांट्रेक्टर . कमीशन और ब्रोकरेज से प्राप्त हुए पेमेंट पर भी एवं प्रोफेशनल तकनीकी सेवा, इंश्योरेंस, किराए के भुगतान पर भी टीडीएस काटा जाता है।
TDS कटने के पश्चात भी यदि किसी प्रकार का टैक्स बकाया रह जाता है। तो उसे भी भुगतान करना चाहिए। और यदि एक वित्तीय वर्ष में आप की कुल कर योग्य आय से ज्यादा TDS काटा गया है। तो आप इनकम फाइल रिटर्न करके टीडीएस को वापस भी प्राप्त कर सकते हैं।
– पेमेंट देने की अंतिम तिथि या वास्तविक पेमेंट, जो भी पहले हो उस समय तक TDS का5ट लेना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है। तो 1% प्रति माह की दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।
– TDS काटने के पश्चात कलेक्ट की गई धन राशि को अगले महीने की 7 तारीख तक सरकार के पास जमा करना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है। तो हर महीने 1.5% की दर से अलग ब्याज देना पड़ सकता है।
– हर महीने टीडीएस काटा जाता है। जिसका रिटर्न हर तिमाही के अगले महीने की अंतिम तारीख तक दाखिल किया जाना चाहिए। अर्थात एक 31 जुलाई, 31 अक्टूबर, 31 जनवरी और 31 मई तक जमा करना चाहिए।
यदि आप जानना चाहते हैं कि आपके अकाउंट से कितना TDS काटा गया है। तो इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप नीचे बताए जा रहे आसान से स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं। और पता कर सकते हैं –
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